हमारी भारतीय संस्कृति पर आधारित फिल्में आज भी समसामयिक हैं – मुख्यमंत्री डॉ यादव

मुख्यमंत्री डॉ. यादव विक्रमोत्सव-2025 के अंतर्गत, अंतररार्ष्ट्रीय फिल्मोत्सव के समापन समारोह में शामिल हुए
–श्रीमती कपूर की आत्मकथा की पुस्तक का विमोचन किया
उज्जैन 25 मार्च। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को कालीदास अकादमी परिसर में विक्रमोत्सव-2025 के अंतर्गत अंर्तराष्ट्रीय फिल्मोत्सव के समापन समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉक्टर यादव ने इस अवसर पर फिल्म फेस्टिवल में विभिन्न देशों से आए राजनयिकों के साथ सौजन्य भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ यादव ने लेखक सीमा कपूर की आत्म कथा “यूं गुजरी है अब तलक” का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री डॉक्टर यादव ने इस अवसर पर कहा कि विक्रमोत्सव में धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार के आयाम जुड़ रहे हैं। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता रही है कि यहां के लोगों ने हर प्रकार की चुनौतियों और विषम परिस्थितियों में अपने आप को दृढ़ रखा है और पूरे विश्व के समक्ष एक मिसाल पेश की है। भारतीय संस्कृति पर आधारित फिल्म फेस्टिवल हमारी कला और संस्कृति को पूरे विश्व के समक्ष प्रस्तुत करता है। इस फेस्टिवल में अतीत की कालजयी फिल्मो का प्रसारण किया गया है।चलित हिंदी फिल्मों की यात्रा दादा साहब फालके द्वारा निर्देशित फिल्म राजा हरिश्चंद्र से होती है।
हमारी भारतीय संस्कृति पर आधारित फिल्में आज भी समसामयिक हैं। आने वाले समय में और भव्य स्तर पर इस प्रकार के आयोजन किए जाने चाहिए। विक्रम महोत्सव के माध्यम से हम सम्राट विक्रमादित्य के स्वर्णिम काल को याद करते हैं। सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित नाट्य और फिल्मों के माध्यम से पूरे विश्व में उनकी न्याय प्रियता और उनके सुशासन का संदेश जाता है। सम्राट विक्रमादित्य के विराट व्यक्तित्व में विभिन्न आयाम समाए हुए हैं। सही अर्थों में उज्जैन 64 कलाओं को प्रदान करने वाली नगरी है। मुख्यमंत्री डॅा यादव ने अपनी ओर से फिल्मोत्सव के समापन के अवसर पर संस्कृति विभाग, कालिदास अकादमी और विक्रमादित्य शोध पीठ को शुभकामनाएं दीं ।
समापन समारोह में प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, दिलीप सिंह परिहार, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, ओम जैन, कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक गोविंद गंधे, नरेश शर्मा, राजेश सिंह कुशवाहा एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशा के अनुरूप भारत के ज्ञान और संस्कृति के प्रकाश को दुनिया में पहुंचाने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया जिसमें 90 फिल्मों का प्रसारण किया गया है। इसमें अधिकतर फिल्में भगवान श्री कृष्णा पर आधारित हैं।
कार्यक्रम में साउथ अमेरिका के देश सूरीनाम की एंबेसी में कार्यरत सचिव श्रीमती सुनैना पी आर मोहन ने कहा कि उज्जैन शहर में उनका प्रथम बार आगमन हुआ है। यहां के लोगों के व्यक्तित्व में सादगी समाहित है। उज्जैन के कण-कण में ईश्वर का निवास है।
उल्लेखलनीय है कि अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के समापन के पूर्व गोपाल कृष्ण (हिन्दी), भगवान श्री कृष्णा (हिन्दी), श्री कृष्ण अर्जुन युद्धम (तेलुगु), मीरा रो गिरधा (राजस्थानी), भगवान श्री कृष्णा चैतन्य (बंगाली), श्री कृष्णा लीला (तमिल), भगत्नसयो (गुजराती)भाषा की फिल्मों का प्रस्तुतिकरण किया गया । इसके अलावा विदेशी भाषाओं में डेथ इन वेरीक्यूकोस ,और साचा: चेरनोबिल का एक बच्चा-1 फिल्मों का प्रस्तुतिकरण किया गया। जिसका कलाप्रेमी दर्शको द्वारा आनंद लिया गया ।
हमारी भारतीय संस्कृति पर आधारित फिल्में आज भी समसामयिक हैं – मुख्यमंत्री डॉ यादव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव विक्रमोत्सव-2025 के अंतर्गत
अंर्तराराष्ट्रीय फिल्मोत्सव के समापन समारोह में शामिल हुए
–श्रीमती कपूर की आत्मकथा की पुस्तक का विमोचन किया
उज्जैन 25 मार्च। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को कालीदास अकादमी परिसर में विक्रमोत्सव-2025 के अंतर्गत अंर्तराष्ट्रीय फिल्मोत्सव के समापन समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉक्टर यादव ने इस अवसर पर फिल्म फेस्टिवल में विभिन्न देशों से आए राजनयिकों के साथ सौजन्य भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ यादव ने लेखक सीमा कपूर की आत्म कथा “यूं गुजरी है अब तलक” का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री डॉक्टर यादव ने इस अवसर पर कहा कि विक्रमोत्सव में धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार के आयाम जुड़ रहे हैं। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता रही है कि यहां के लोगों ने हर प्रकार की चुनौतियों और विषम परिस्थितियों में अपने आप को दृढ़ रखा है और पूरे विश्व के समक्ष एक मिसाल पेश की है। भारतीय संस्कृति पर आधारित फिल्म फेस्टिवल हमारी कला और संस्कृति को पूरे विश्व के समक्ष प्रस्तुत करता है। इस फेस्टिवल में अतीत की कालजयी फिल्मो का प्रसारण किया गया है।चलित हिंदी फिल्मों की यात्रा दादा साहब फालके द्वारा निर्देशित फिल्म राजा हरिश्चंद्र से होती है।
हमारी भारतीय संस्कृति पर आधारित फिल्में आज भी समसामयिक हैं। आने वाले समय में और भव्य स्तर पर इस प्रकार के आयोजन किए जाने चाहिए। विक्रम महोत्सव के माध्यम से हम सम्राट विक्रमादित्य के स्वर्णिम काल को याद करते हैं। सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित नाट्य और फिल्मों के माध्यम से पूरे विश्व में उनकी न्याय प्रियता और उनके सुशासन का संदेश जाता है। सम्राट विक्रमादित्य के विराट व्यक्तित्व में विभिन्न आयाम समाए हुए हैं। सही अर्थों में उज्जैन 64 कलाओं को प्रदान करने वाली नगरी है। मुख्यमंत्री डॅा यादव ने अपनी ओर से फिल्मोत्सव के समापन के अवसर पर संस्कृति विभाग, कालिदास अकादमी और विक्रमादित्य शोध पीठ को शुभकामनाएं दीं ।
समापन समारोह में प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, दिलीप सिंह परिहार, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, ओम जैन, कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक गोविंद गंधे, नरेश शर्मा, राजेश सिंह कुशवाहा एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मंशा के अनुरूप भारत के ज्ञान और संस्कृति के प्रकाश को दुनिया में पहुंचाने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया जिसमें 90 फिल्मों का प्रसारण किया गया है। इसमें अधिकतर फिल्में भगवान श्री कृष्णा पर आधारित हैं।
कार्यक्रम में साउथ अमेरिका के देश सूरीनाम की एंबेसी में कार्यरत सचिव श्रीमती सुनैना पी आर मोहन ने कहा कि उज्जैन शहर में उनका प्रथम बार आगमन हुआ है। यहां के लोगों के व्यक्तित्व में सादगी समाहित है। उज्जैन के कण-कण में ईश्वर का निवास है।
उल्लेखलनीय है कि अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के समापन के पूर्व गोपाल कृष्ण (हिन्दी), भगवान श्री कृष्णा (हिन्दी), श्री कृष्ण अर्जुन युद्धम (तेलुगु), मीरा रो गिरधा (राजस्थानी), भगवान श्री कृष्णा चैतन्य (बंगाली), श्री कृष्णा लीला (तमिल), भगत्नसयो (गुजराती)भाषा की फिल्मों का प्रस्तुतिकरण किया गया । इसके अलावा विदेशी भाषाओं में डेथ इन वेरीक्यूकोस ,और साचा: चेरनोबिल का एक बच्चा-1 फिल्मों का प्रस्तुतिकरण किया गया। जिसका कलाप्रेमी दर्शको द्वारा आनंद लिया गया ।